एनएचएआई अधिकारियों के मुताबिक अभी इसे एडवांस टोल मैनेजमेंट सिस्टम और रेडियाे फ्रिक्वेंसी आइडेंटीफिकेशन यानी आरएफआइडी सिस्टम से जोड़ा गया है। जैसे ही वाहन सेंसर की जद में आएगा तो अत्याधुनिक सेंसरयुक्त बूम बैरियर स्वत: खुल जाएंगे।
एक तरफ के शुल्क का 30 गुना
स्थानीय वाहनों के लिए
10 किमी के वाहनों के लिए-150 मासिक
20 किमी के वाहनों के लिए-500 मासिक
20 किमी एलसीवी के लिए-15 प्रति ट्रिप
20 किमी ट्रक, बस-25 प्रति ट्रिप
स्कूल बसें-1000 मासिक
ये भी जानिए
20 से 25 हजार वाहनों का रोजाना आवागमन
16 लेन का टोल प्लाजा बनाया गया है
100 किमी प्रति घंटे की रफ्तार कार के लिए
80 किमी की स्पीड से दौड़ सकेंगे भारी वाहनों
344पी होगा इस हाईवे का अधिकारिक नाम
टोल सिस्टम कैसे करेगा काम?
एनएचएआई अधिकारियों के मुताबिक अभी इसे एडवांस टोल मैनेजमेंट सिस्टम और रेडियाे फ्रिक्वेंसी आइडेंटीफिकेशन यानी आरएफआइडी सिस्टम से जोड़ा गया है। जैसे ही वाहन सेंसर की जद में आएगा तो अत्याधुनिक सेंसरयुक्त बूम बैरियर स्वत: खुल जाएंगे।
इस टोल प्लाजा पर स्वचालित नंबर प्लेट पहचान प्रणाली के पायलट प्रोजेक्ट पर भी काम किया जा रहा है। भविष्य में जीएनएसएस आधारित टोल शुरू होगा तो फास्टैग और बूम बैरियर की भी जरूरत नहीं पड़ेगी।
इस तकनीक के जरिए हाईवे पर चढ़ते ही प्रत्येक गाड़ी की एक यूनिक आइडी बनेगी। एनएचएआई अधिकारियों के मुताबिक इसी तरह का एक टोल प्लाजा कानपुर में भी बनाया गया है और भविष्य में सभी टोल प्लाजा इसी पैटर्न पर बनाए जाएंगे।
एक तरफ के शुल्क का 30 गुना
स्थानीय वाहनों के लिए
10 किमी के वाहनों के लिए-150 मासिक
20 किमी के वाहनों के लिए-500 मासिक
20 किमी एलसीवी के लिए-15 प्रति ट्रिप
20 किमी ट्रक, बस-25 प्रति ट्रिप
स्कूल बसें-1000 मासिक
ये भी जानिए
20 से 25 हजार वाहनों का रोजाना आवागमन
16 लेन का टोल प्लाजा बनाया गया है
100 किमी प्रति घंटे की रफ्तार कार के लिए
80 किमी की स्पीड से दौड़ सकेंगे भारी वाहनों
344पी होगा इस हाईवे का अधिकारिक नाम
टोल सिस्टम कैसे करेगा काम?
एनएचएआई अधिकारियों के मुताबिक अभी इसे एडवांस टोल मैनेजमेंट सिस्टम और रेडियाे फ्रिक्वेंसी आइडेंटीफिकेशन यानी आरएफआइडी सिस्टम से जोड़ा गया है। जैसे ही वाहन सेंसर की जद में आएगा तो अत्याधुनिक सेंसरयुक्त बूम बैरियर स्वत: खुल जाएंगे।
इस टोल प्लाजा पर स्वचालित नंबर प्लेट पहचान प्रणाली के पायलट प्रोजेक्ट पर भी काम किया जा रहा है। भविष्य में जीएनएसएस आधारित टोल शुरू होगा तो फास्टैग और बूम बैरियर की भी जरूरत नहीं पड़ेगी।
इस तकनीक के जरिए हाईवे पर चढ़ते ही प्रत्येक गाड़ी की एक यूनिक आइडी बनेगी। एनएचएआई अधिकारियों के मुताबिक इसी तरह का एक टोल प्लाजा कानपुर में भी बनाया गया है और भविष्य में सभी टोल प्लाजा इसी पैटर्न पर बनाए जाएंगे।
कब तक शुरू होगा टोल शुल्क लेने का काम?
एनएचएआई के मैनेजर जगभूषण ने बताया कि दिसंबर तक टोल शुल्क लेने का काम शुरू कर दिया जाएगा। किसी तरह की तकनीकी खामी होती है तो कंट्रोल रूम में मौजूद इंजीनियर तुरंत दूर करेंगे। इस टोल प्लाजा को पूरी तरह से आटोमेटिक तरीके से चलाने की प्लानिंग है।
कैश के लिए फिलहाल ये व्यवस्था
वाहन चालकों को परेशानी से बचाने के लिए फिलहाल अगर कोई ब्लैक लिस्ट फास्टैग या फिर कैश शुल्क देने वाला वाहन पहुंचेगा तो उन्हें सबसे लेफ्ट साइड की लेन से निकाला जाएगा। ऐसे वाहनों से अन्य टोल प्लाजा की तरह ही दोगुना शुल्क लिया जाएगा।
वाहन चालक ऑटोमेटिक लेन में न पहुंचे, इसके लिए हाईवे पर साइन बोर्ड लगाए जाएंगे। अगर कोई गलती से आटोमेटिक लेन में पहुंचता है तो उसे तुरंत हटवाया जाएगा। कुछ समय बाद कैश लेन को भी आटोमेटिक किया जाएगा।
कब तक शुरू होगा टोल शुल्क लेने का काम?
एनएचएआई के मैनेजर जगभूषण ने बताया कि दिसंबर तक टोल शुल्क लेने का काम शुरू कर दिया जाएगा। किसी तरह की तकनीकी खामी होती है तो कंट्रोल रूम में मौजूद इंजीनियर तुरंत दूर करेंगे। इस टोल प्लाजा को पूरी तरह से आटोमेटिक तरीके से चलाने की प्लानिंग है।
कैश के लिए फिलहाल ये व्यवस्था
वाहन चालकों को परेशानी से बचाने के लिए फिलहाल अगर कोई ब्लैक लिस्ट फास्टैग या फिर कैश शुल्क देने वाला वाहन पहुंचेगा तो उन्हें सबसे लेफ्ट साइड की लेन से निकाला जाएगा। ऐसे वाहनों से अन्य टोल प्लाजा की तरह ही दोगुना शुल्क लिया जाएगा।
वाहन चालक ऑटोमेटिक लेन में न पहुंचे, इसके लिए हाईवे पर साइन बोर्ड लगाए जाएंगे। अगर कोई गलती से आटोमेटिक लेन में पहुंचता है तो उसे तुरंत हटवाया जाएगा। कुछ समय बाद कैश लेन को भी आटोमेटिक किया जाएगा
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